अब आगे--------------वाराही तंत्र में ५५ शिवोक्त तन्त्रों का नाम आता है !जिनमें ९,६४,९४९ श्लोक है,आगम तन्त्र विलास ग्रन्थ के लेखक का विश्वास है कि आज भी २०८ तन्त्र ग्रन्थ उपलब्ध है,बौध्दो के विशाल तन्त्र साहित्य में से आज संस्कृत भाषा के २ ग्रन्थ प्राप्त है ! तिब्बत में तन्त्र साहित्य को ७८भागों में बांटा गया है,इनमें से ६४० ग्रन्थ उपलब्ध है! जिस तरह से हिन्दु धर्म के तन्त्रो के निर्माण का श्रेय महादेव जी को दिया जाता है,उसी तरह बौध्द धर्म के तन्त्रो का निर्माण वज्रसत्व्शुध्द ने किया है! ऍसी मान्यता है कि यह तन्त्र भी संस्कृत भाषा में है और इसकी संख्या काफी अधिक है,कुछ प्रधान बौध्द तन्त्र ग्रंथो के नाम उद्धृत है- १.परमार्थ सेवा २.श्यामयमारि ३.साधनपरीक्षा ४.ज्ञानसिध्द ५.पासावतार ६.प्रमोद महायुग ७.बुध्द कपाल ८.क्रिया समुच्चय ९.वज्र सत्व १०.उडायर ११.हयग्रीव १२.मायाजाल १३.मंजु श्री १४.योगनी संचार १५.मर्णि कर्णिका १६.साधन संग्रह १७.साधना कल्पलता १८.साधन संग्रह १९.योगेश्वर २०.डाकनी जाल २१.कालवीर तन्त्र का चन्डरोषण २२.तारा २३.वज्र धातु २४.त्र्यलोक्य विजय २५.यमान्तक २६.संकीर्ण २७.ज्ञानोदय २८.गुह्य समाज २९.साधना माला ३०.चक्र सांवर ३१.सध्दर्म ३२.सुखावत व्युहचक्र ३३.बाराही तन्त्र ३४.पिंडी कर्म ३५.योगाम्बर पीठ ३६.कालचक्रं ३७.योगनी ३८.तन्त्र समुच्चय ३९.नाम संगीत ४०.बसंत तिलक ४१.पीत यमारि ४२.कृष्ण यमारि ४३. शुक्ल यामरि ४४.रक्त यमारि ४५.संपुटौद्भव ४६.हे वजु ४७.सम्वरंत्रता सम्वरदय ४८.क्रिया संग्रह ४९.क्रिया कद ५०.क्रिया सागर ५१.क्रिया कल्पद्रुम ५२.क्रियणम ५३.अभिवानोतर ५४.साधना समुच्चय ५५.तत्व ज्ञानसिध्दि ५६.गुहा सिध्दि ५७.उछान ५८.नागार्जुन ५९.योग पीठ ६०.बजुबीर ६१.मरीचि ६२. विमल प्रभा ६३.संम्पुट ६४.मर्म कालिका ६५.कुंरुकुल ६६.भुतवमर ६७.योगनी जाल ६८.योगाम्बर ६९.वसुन्धरा सावन ७०.नौरात्म ७१.डाकार्णव ७२.क्रियासार ७३.क्रियावसान्त ७४.गढोत्पादनाभ संगति निष्पन्न योगाम्बर तन्त्र आदि !अनेक बौध्द तन्त्रो का चीनी तथा तिब्बती भाषा में अनुवाद हो चुका है ! आगे क्रमशः
अब कुछ ठीक है भास्कर जी !मैंने अपने ब्लॉग पर ज्योतिष के शुरुआती ज्ञान का कोलम शुरू कर दिया है चाहें तो देख सकते हैं ! कुछ लाभ मिल सकता है आपको वहाँ पर !
जवाब देंहटाएं! जय गणेश !