शुक्रवार, 3 जून 2011

तन्त्र साहित्य की विशालता --- ३

अब आगे---------------------बौध्दो का शक्ति तन्त्र साहित्य भी कम महत्वपुर्ण नहीं है ! अनेकों संस्कृत ग्रन्थ इस संबन्ध में उपलब्ध है! कुछ के नाम इस प्रकार है -१-तारा कल्प,२--तारा तन्त्र,३-तारा प्रदीप,४-कल्पलता, ५-तारा कवच,६-तारा तत्व,७.तारा पंजिका,८-तारा पध्दिति,९-तारा पंचाग,१०-तारा पराजिका११-तारा पुजा प्रयोग,१२-तारार्जन चन्द्रिका,१३-तारा रहस्यवृतिका,१४-तारा पुजन न्यास विधि,१५-तारा पुजन बल्लरी,१६-तारा पूजन रसायन,१७-तारा तरंगनि,१८-तारा भविसिध्दर्णव,१९-तारा वर्ष,२०-तारा विलासदय,२१-तारा षटपदी,२२-तारा सहस्त्र,२३-तारा अष्टोत्तर आदि !                       सौन्दर्य लहरी के ३१ वें श्लोक की लक्ष्मीधर कृत टीका के अनुसार शुभागम पंचक के नाम इस प्रकार है---१.वशिष्ठ संहिता,२.सनक संहिता,३.शुक्र संहिता,४.सनन्दन संहिता,५.सनतकुमार संहिता!   ललिता सहस्त्रनाम के ८८ वें श्लोक पर सौभाग्य भास्कर की टीका के अनुसार २८ आगम इस प्रकार है---कामिक,योगज,कारण,प्रमृतागम,अजितागम,दीप्तगम,आशुमानागम,सुप्रमेदागम,विजवागम,निःश्वागम,स्वायम्भुवागम,अनलागम,वीरागम,रौत्रागम,मुकुटागम,विमलागम,चन्द्र्ज्ञागम,बिम्ब्रागम,प्रोध्दतागम,ललितागम,सिध्दागम,सन्तानागम,किरणागम,वातुखागम,सुक्ष्मागम,सहस्त्रागम,सर्वोत्तरागम,पर्मेश्वरागम !     आगे क्रमशः

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